
तो दोस्तों आही गए दुश्मन को जलाने वाली शायरी ब्लॉक पोस्ट में आजकल की जवाने में दोस्त और रिश्तेदार कम दुश्मन और जलने वालों की संख्या बढ़ गया है, दुश्मन को और जलाने के लिए मैं आप सभी के लिए कुछ नया और शानदार जलने वालों के लिए शायरी लेकर आया हूं, यह शायरी दुश्मन और जलने वालों के लिए आग पे घी डालने का काम करेगा।
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जलने वालों के लिए शायरी
कोई कितना भी कर ले साजी से फिर भी मेहनत का इरादा है जलने वालों क्या उखाड़ लोगे हमारे चाहने वाले ज्यादा है।
हमसे लोग ऐसे जल रहे हैं जैसे हम अपने बाप के नहीं उनके बाप के खा रहे हैं।
जनाब गर्मी से नहीं हमारे शौक से लोग जल जाते हैं क्योंकि जितना वो कामते है उतना हम उराते हैं।
जो भूल हुई हमसे वह दोबारा नहीं दोह राएंगे और जलने वालों जलते रहो हम और जला एंगे।
हमारा अंदाज ही कुछ ऐसा है जनाब देखने वालों को क्यूट और जलने वालों को एटीट्यूड लगता है।
तुम जलते हो मेरा क्या जाता है लेकिन एक बात है जब तुम जलते हो ना तुम्हें देखने में बहुत मजा आता है।
मैंने जो सोचा था बिल्कुल वही चल रहा है जलने वाले जलते रहो अपना काम सही चल रहा है।
जलने वालों के लिए शायरी in english

Koi Kitna bhi kar le shaji se fir bhi mehnat ka irada hai jalne wale kya ukhad lenge hamare chahane wala jyada hai
Humse log aise jal rahe hain jaise ham Apne baap ke nahin unke baap ke kha rhai
Garmi se nahin hamare shok se log jal jaate Hain kyunki jitna vah kamata hai utna ham udate Hain
Maine Jo socha tha bilkul vahi chal raha hai jalne walon jalte raho apna Kam Sahi chal raha hai
Tum jalte Ho Mera kya jata hai lekin ek baat hai jab Tum jalte Ho Na Tum tumhen dekhne mein bahut maja aata hai
Hamari burai mahfilo mein chal rahi hai koi bacha hi nahin humse sabki jal rahi hai aur tum kya tumhari aukat hai kya ham vah hai jinke isharon per pura duniya chal rahi hai
Attitude दुश्मन को जलाने वाली शायरी

सामने से बाहर होगा पिटह नहीं दिखाएंगे तुमको कुछ दिन और फुदक ले तेरे शहर में आकर उड़ाएंगे तुमको।
कि तुम शेर की खाल में ,भी कुत्ते हो तुम क्या दहाड़ लोगे यह खड़ा रहा तुम्हारे सामने तुम्हारा बाप बताओ तुम क्या उखाड़ लोगे।
सच को सच और झूठ को झूठ बोलने का दम रखती हूं इसलिए दुश्मन ज्यादा दोस्त कम रखता हु।
जलने वाले राख होंगे, बताओ ए कम थोड़ी है, किसी सजा से।
जलने वालों की दया से बर्बादी भी कमाय लगती है,अब तो उस मोड पर आ गए हैं जहां बुराई भी तभाई लगती है।
ज़बाना बदल चुका है, अब हमसे जलने वाले कुत्ते गलीयों में नहीं सोशल मीडिया पर भोंकते हैं।
इतनी अकड़ किस बात की वह तुम मे तो कोई ऐसी कोई बात नहीं और तुम्हें मैं दुश्मन मानु तुम्हारी कोई औकात नहीं।
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